शादी की उम्र हो रही थी मेरे लिए लड़किया देखी जा रही थी

0

 शादी की उम्र हो रही थी मेरे लिए लड़किया देखी जा रही थी

शादी की उम्र हो रही थी

शादी की उम्र हो रही थी मेरे लिए लड़किया देखी जा रही थी, मैं भी मन ही मन में काफी खुश था, की चलो कोई तो ऐसा होगा जिसे मैं अपना हमसफर बोलूंगा, जिसके साथ जब मन करे प्यार करूंगा,

मेरी अच्छी खासी नौकरी है घर में बूढ़ी मां है पापा हैं और इतनी कमाई तो हो ही जाती है की अपने पत्नी का खर्चा उठा सकूं

ये सारी बातें सोच सोच के खुश होता था, मां की उम्र भी हो गई थी, तो एक प्वाइंट ये भी लोगो को बताता की यार मुझे शादी को कोई जल्दी नहीं ये तो मां है जिनकी उम्र निकल रही है उनके लिए शादी करनी है मां ने लोग भी मेरी बात मानते लेकिन मन ही मन में तो मैं भी चाहत थी की मेरी शादी हो जाए

 

मेरी शादी प्रीति से फिक्स होती है, मैने बोला प्रीति को हम आगे जाके बहुत अच्छी जिंदगी जीने वाले हैं, क्यों की मेरे घर में कोई नहीं है

 

बस तुम्हे मेरे मां बाप का ध्यान रखना होगा, प्रीति ने तुरंत बोला आप के मां बाप भी मेरे मां बाप हो जाएंगे शादी के बाद

प्रीति की अच्छी बातों से मुझे दिन रात और ज्यादा प्रेम होने लगा था, कभी परिवार संभालने की बाते, कभी शरारत भरी रोमांटिक बातें सुनकर मैं बहुत खुश था

 

मानो एक परफेक्ट जिंदगी मुझे मिल गई हो, शादी के बाद हम दोनों घूमने गए, सब कुछ बहुत अच्छा था, ना जाने क्यों इस पल हम दोनों को ऐसा लगता था की बस हम एक दूसरे से लिपटे रहें अब जिनकी शादी हुई होगी वो समझ पा रहे होंगे की मैं क्या बोलना चाहता हूं

 

घूमने के बाद जब घर आया तो ज्यादातर समय ऑफिस के लिए ही होता था छुट्टी में जब कभी मम्मी पापा बाहर जाते तो प्रीति मैडम मूड में रहती थी, कब क्या कहां कैसे कुछ हो जाता था पता नही चलता था,

 

मुझे अब लगने लगा था, एक ऐसी पत्नी मिली है, जो घर की जरूरतों को समझती है, साथ में मेरी शरीरक जरूरतों का भी ध्यान रखती है, संबंध बनाने के लिए खुद ही पहल करती है, और यदि कभी मैं कर दूं तो माना नही करती बल्कि पूरा साथ देती है

अब जिदंगी में इससे अच्छा क्या होगा

फालतू में मेरे दोस्त बोलते थे की शादी मत करो लाइफ खराब हो जाती है

 

हमारी शादी को 2 महीने हुए थे प्रीति ने बोला अजी मुझे सारी में दिक्कत होती है, क्या मैं घर पर सूट पहन सकती हूं

 

मैने तुरंत बोला हां क्यों नहीं पहन सकती हो चलो अभी दिलाता हूं

हम दोनो बाजार से घर आते हैं मम्मी ने उसके हाथ में सूट देखा कुछ बोली नहीं

 

अगली सुबह जब वो नहाकर सूट पहन कर निकली तो मम्मी ने बोला की, तुमने सूट क्यों पहन लिया, हमारे यहां शादी के 6 महिने तक नई बहु को सिर्फ साड़ी पहननी होती है, रोज कोई न कोई देखने आ जाता है, सबके सामने सूट पहन कर जाओगी अच्छा नही लगेगा

और बार बार दिन भर कपड़ा बदलो ये भी अच्छा नहीं है

 

इसपर प्रीति ने मां को सॉरी बोला, और बोली मैने तो इसने पूछ के लिया था,

 

तभी मां बोलती हैं की ये कौन होता है ये सब डिसाइड करने वाला, अभी मैं हूं तो मैं करूंगी जब मैं मर जाऊं तो जैसे मन वैसे रहना,

 

इसे सुनने के बाद आज मुझे पहली बार घर में अपनी अवकत का पता चला

मासूमियत से प्रीति मेरी तरफ देख रही थी शायद ये बताना चाहती थी की मेरी वजह से डांट पड़ गई उसे

 

पत्नी प्रेम में लिप्त होकर मैने मां से बोल दिया अरे मम्मी उसकी गलती नही है मुझसे पूछी थी वो

 

मां ने तुरंत बोला 2 महीना हुआ नही और आगाए पत्नी का। पक्ष लेने

 

इस घर में मालिक मैं हूं या तुम हो?

 

अब मेरे पास कोई जवाब नही था, हम दोनो एक दूसरे। को देखे और अंदर चले गए

 

इस बात से प्रीति डर गई थी और अब वो हर काम मां से पूछ कर करने लगी,

लेकिन मां के लिए ये भी एक आफत था, अब उनका कहना था की तुम 28 साल की तुम्हे खुद बुद्धि होनी चाहिए क्या करना है क्या नही, हर चीज के लिए मेरे पास मत आया करो

लेकिन अब इस बार प्रीति भी चिढ़ गई, पर मां कुछ बोला नहीं

जब मैं ऑफिस से आया तो अंदर आते ही मां बोलने लगी। की तुम्हारी धर्मपत्नी को बुद्धि नाम की चीज नहीं है मैने मां को समझाया की जाने दो सीख जाएगी थोड़ा समय दो इसपर मां ने मुझसे मुंह फूला लिया और उदास रोते मन से कहा तुम बदल गए हो, और पीछे से धीरे धीरे मेरे पिता जी देखते हुए हंस रहे थे, मानो ऐसा जता रहे हो  कैसे उन्होंने पहले ही भविष्य देखा हुआ था

 

इसके बाद कमरे में गया तो वहां प्रीति का मुंह खुला हुआ था कमरे में घुसते ही उसने मुझसे बोला कि मैं कितनी भी कोशिश कर लूं मां मुझे कभी खुश नहीं होती हर चीज की एक सीमा होती है और यह सारी बातें सीमा से भी ऊपर है

 

मैंने उसे पकड़ा और बोला घबराओ मत थोड़ा समय लगेगा मां को संभालने में क्योंकि तुम्हारे अलावा उनका कोई और नहीं है वह तुम्हें अपना मानती हैं इसलिए तुमसे ऐसी बातें करती हैं

चलो चल के नीचे खाना खाते हैं बहुत तेज भूख लगी है

ऐसा बोलकर हम नीचे आते हैं और मैं मन में ही सोचता हूं दिव्या को तो मैं धीरे से किसी भी तरह से मना लूंगा एक रात की बात है एक बार जहां लिपट के सोया सब कुछ सुबह ठीक हो जाएगा मां के लिए कुछ सोचना पड़ेगा

नीचे खाना खाने के बाद मैं और प्रीति अपने कमरे में जाते है प्रीति अभी भी थोड़ी नाराज लग रही थी मैंने उसे बोला क्यों माँ की बात का इतना बुरा मानती हो उसने तुरंत मुझसे बोला मेरी कोई गलती भी नहीं होती और हर चीज के लिए मुझे दोषी ठहरा दिया जाता है मैं कुछ अच्छा भी करने जाती हूं तो उसमें भी मेरी बुराई निकल जाती है

 

मैंने उसे ज़ोर से गले लगाया और बोला ऐसा कुछ नहीं है और समय के साथ सारी चीज ठीक हो जाएगी और अब बारी थी कुछ करने की लेकिन उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और बोला मेरा मन नहीं है

 

अब जो मुझे लगता था कि एक रात लिपट के सोने से अगली सुबह सब कुछ ठीक हो जाएगा यह बातें झूठी समझ आने लगी

 

धीरे-धीरे हर छोटी-छोटी चीज पर घर में लड़ाई झगड़ा होने लगे मां को दिव्या की कुछ चीज नहीं पसंद आई और दिव्या को मां की बहुत सारी चीज पसंद आती है

 

प्रीति का कहना था कि घर उसका भी है और हर छोटी चीज के लिए परमिशन लेना ठीक नहीं लगता उधर मां का कहना था कि इस गृहस्थी को मैंने बसाया है और हैंडोवर किया है इसलिए अभी भी इसकी मालकिन मैं ही हूं तुम्हें जो भी पूछना है मुझसे पूछ कर करो

 

दोनों अपनी बात पर बिल्कुल सही थे एक तरफ प्रीति जिसके साथ मुझे पूरी जिंदगी बितानी थी दूसरी तरफ मेरी मां जिसने इस गृहस्ती को संभाला था मुझे पाल-पोस्कर बड़ा किया था

 

लेकिन इन दोनों की लड़ाई का असर सीधा-सीधा मेरे ऊपर दिख रहा था और मैं पिस्ता जा रहा था

 

धीरे-धीरे बात कही ज्यादा बढ़ने लगी और घर में प्रतिदिन लड़ाई झगड़े की नौबत आ गई

अब मुझे भी लगने लगा था कि जो मेरे दोस्त बोलते थे की शादी करने से बहुत ज्यादा खुशी नहीं मिलती बल्कि लाइफ में टेंशन आता है वह क्यों बोलते थे

 

इसी तरह एक दिन अत्यधिक बात बढ़ने पर मैं रात को दोनों लोगों के कमरे में गया सबसे पहले मैं मां के कमरे में गया और मां को समझाया कि देखो मां तुम दोनों के झगड़े की वजह से मेरा कैरियर खराब हो रहा है और मैं ठीक से रह नहीं पता मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकता और ना मैं प्रीति को छोड़ सकता हूं तो इसलिए थोड़ी नरम हो कर रहा करो जो चीज जैसे चल रही है चलने दो इस बार मैं थोड़ा कठोर था

 

मां से तुरंत बोलने के बाद मैं अपनी पत्नी के कमरे में गया और मैं यही बात उससे भी कहीं की देखो मां की उम्र हो चुकी है यदि तुम यह सोच रही हो की मां अपने आप को बदल सकती हैं तो यह होना मुमकिन नहीं है बदलना तुम्हें खुद को होगा जिसमें मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगा मैं ना तुम्हें छोड़ सकता हूं क्योंकि तू मेरा भविष्य हो और ना मैं अपनी मां को छोड़ सकता हूं क्योंकि उन्होंने मुझे पाल-बोस कर बड़ा किया ओर इस लायक बनाया है तो कोई बीच का रास्ता निकालो और घर मे शांति से रहो

 

यह बात होने की कुछ दिन बाद तक तो चीज ठीक थी लेकिन धीरे-धीरे चीज इस स्थिति में आने लगी

 

जब भी मैं ऑफिस से घर आता तो घर में घुसते ही माँ प्रीति की बुराई करती और अपने कमरे में घुसते ही प्रीति मां की बुराई करती मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं किसी जंजाल में फंस गया हूं

 

प्रीति का पक्ष लेता तो माँ बुरा मान जाती मां का पक्ष लेता तो प्रीति बुरा मान जाती और यह दोनों वही औरतें हैं जिनसे इस दुनिया में मैं सबसे ज्यादा प्रेम करता हूं

 

एक समय में स्थिति ऐसी आ गई कि मुझे घर पर आने का मन नहीं करने लगा  काम हो गया मुझे लगता है जितना ज्यादा समय घर से बाहर रहूं उतना अच्छा है

 

क्योंकि दो बार समझाने के बाद भी मेरी मां और मेरी पत्नी की बीच विवाद नहीं सुलझा रहा था

 

इसी दौरान मैं अपने पापा के साथ उनके पेंशन के काम के लिए ऑफिस जाता हूं और मेरे पापा मुझसे पूछते हैं कि इतना परेशान क्यों रहते हो

 

मैंने उन्हें बताया कि पापा यह दिक्कत है तो पापा ने बोला कि यह तो दुनिया की रीति है हर मर्द को इससे गुजरना पड़ता है आज तुम परेशान हो लेकिन यह चीज कभी खत्म नहीं होगी तो तुम्हें इसी के साथ जीने की आदत डालनी होगी

 

जब मेरी शादी हुई थी तो मैं भी यह चीज झेली है जब मेरे पिताजी की शादी हुई थी तो उन्होंने भी झेली है तुम्हारे नाना की शादी हुई थी तो उन्होंने भी झेली है तो अब तुम्हारी बारी है

 

लेकिन मैं तुम्हें तरीका बताता हूं जिससे हो सकता हूं चीज काफी हद तक सुधर जाए पापा ने मुझे एक तरीका बताया

मैं घर आता हूं चीज ठीक चलती है लेकिन धीरे-धीरे कुछ समय बाद फिर झगड़ा होना शुरू हो जाता है

और इस बार मैंने दोनों को आमने-सामने बैठ कर बोला की लास्ट समय मैं आप लोगों से बात की थी पर उसका कोई भी मतलब निकल कर नहीं आ रहा है यदि आज के बाद फिर घर में कभी झगड़ा होता है तो मैं यह घर छोड़कर चला जाऊंगा मैं कहीं बाहर रहूंगा और हर महीने की सैलरी आधी मां को और आधी प्रीति को दे दिया करूंगा

इस बात का दोनों के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था

हफ्ता बीतता है और घर में फिर झगड़ा होता है इस बार समय था एक्शन लेने का मैं झगड़ा होते हुए देखा पर मैं इस बार कुछ भी बोल नहीं मैं ऑफिस जाता हू

 

और इस बार देर रात तक ऑफिस में ही रूकता हूं जब प्रीति मुझे फोन करती है कि आप कहां है तो मैं उनसे बोला मुझे नहीं पता मैं कहां हूं कुछ देर बाद मां का फोन आता है और माँ भी मुझसे यही पूछता है कि तुम कहां हो इतना देर क्यों हो रहा है मैंने मां को भी बोल दिया कि मैं कहां हूं मुझे भी नहीं पता

इस दौरान में अपने एक अविवाहित दोस्त के घर पर रुका हुआ था जिसके बारे में मेरे घर में किसी को नहीं पता था सिर्फ मेरे पिता जानते थे जब प्रीति का फोन आता है या मां का फोन आता तो मैं उनसे नॉर्मली बात करता और मैं उन्हें यह बोल देता कि कई बार मैंने उन लोगों को समझाया है कि घर में लड़ाई झगड़ा मत करो जिससे घर की शांति भंग होती है इस वजह से मैं अब घर छोड़कर बाहर आ गया हूं और मैं हमेशा के लिए बाहर हूं

जिसे सुनने के बाद मेरी माँ घबरा गई प्रीति घबरा गई कि आखिर ऐसा क्या हो गया

और यह दोनों मुझे फोन करके समय-समय पर यह एहसास दिलाते की दोबारा उनसे यह गलती कभी नहीं होगी मुझे जल्दी से जल्दी घर आ जाना चाहिए

 

मां ने तो यह तक बोल दिया कि तू क्या चाहता है मैं बिना पोते का मुंह देखे मर जाऊं

और प्रीति फोन करके मुझे यह बोलते कि आपकी मां आपके लिए बहुत परेशान है मेरे लिए ना सही काम से कम उनके लिए तो वापस आ जाइए

मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही थी कि दोनों लोग मेरे चक्कर में एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे

बस फर्क इतना था कि प्रीति खुलकर के मुझे बोल दे रही थी पर मां इशारों में बोल रही थी

एक हफ्ते बाद में घर आता हूं और घर जाकर सबसे पहले देखता हूं और पिताजी से मिलता हूं पापा मुझे बताते हैं कि एक हफ्ते से घर में काफी शांति है और उम्मीद है आगे भी ऐसा झगड़ा नहीं होगा

 

और यकीन मानिए उसे दिन के बाद से ऐसा झगड़ा दोबारा कभी नहीं हुआ मेरी मां मेरी पत्नी के साथ अच्छे से रहती है और मेरी पत्नी मेरे माँ के साथ अच्छे से रहती है

 

आज प्रीति के साथ मुझे पूरे 5 साल हो चुके हैं और हमारा एक बेटा भी है लेकिन आज हमारे घर में गृह कल नाम की चीज हैं ही नहीं और इसका पूरा श्रेय में अपने पिता को देना चाहता हूं

 

क्योंकि उसे दिन जब हम पेंशन का काम करने कचहरी गए थे तो उन्होंने ही मुझे यह आईडिया दिया कि तुम एक हफ्ते के लिए घर से बाहर भाग जाओ और बोल देना कि अब तुम दोबारा लौट के कभी नहीं आओगे

 

मुझे पता है मेरा यह कदम काफी ज्यादा हास्य आत्मक और कुछ लोगों को बेकार लगे पर यकीन मानिए इस चीज ने मेरी जिंदगी बदल दी अगर मैं आज यह कदम न उठाया होता तो शायद हर घर की तरह मेरे घर में भी रोज लड़ाई झगड़ा हो रहा होता

 

भारत में शादी सिर्फ लड़के और लड़की की नहीं होती बल्कि लड़की और लड़के की फैमिली की भी होती है शादी के बाद सिर्फ पत्नी के साथ जी भर के से... करने से खुशी नहीं प्राप्त होती असली खुशी तब मिलती है जब आपका परिवार भी खुश हो और परिवार को खुश करने की जिम्मेदारी सिर्फ लड़की की नहीं होती बल्कि पूरे परिवार की होती है इसमें आप मैं आपके मन आपके पास और लड़की सभी शामिल होते हैं



 एक बिन माँ बाप की लड़कीं अपने ननिहाल में रह रही थी




Recent

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top