सौतेली माँ ओर बेटा की दर्दभरी कहानी...

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सौतेली माँ ओर बेटा की दर्दभरी कहानी...  

सौतेली माँ ओर बेटा की दर्दभरी कहानी...


नीतू की आंखों से निरंतर आंसू बहे जा रहे थे। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी कोशिश में कहाँ कमी रह जाती है। इतनी कोशिश अगर भगवान को मनाने के लिए करती तो शायद भगवान भी मिल जाते। इतना परेशान तो कभी नहीं हुई जितना इस आठ साल के अदने से बच्चे ने परेशान कर रखा है। हालांकि कसुर उसका कुछ भी नहीं। बस लोगों की सुनी सुनाई बातों को सच मान बैठा है।

 

हां यही नाम है उसका। उम्र बस आठ साल। हमेशा अपनी दादी के साथ छोटी सी निक्कर पहन कर घूमता रहता है। दादी के साथ रह रह कर पूरा पंचायती हो चुका है। हालांकि दादी कभी भी नीतू की बुराई नहीं करती। पर दादी की सखियां है जो सोहन को नीतू के खिलाफ भड़काती रहती है।

अब नीतू कौन? नीतू गोलू के पिता प्रमोद की दूसरी पत्नी है। और गोलू प्रमोद की पहली पत्नी का बेटा। दो साल पहले प्रमोद की पत्नी का बीमारी के चलते देहांत हो गया था। उसके बाद प्रमोद शादी नहीं करना चाहता था। बस जैसे तैसे बड़ी मुश्किल से प्रमोद को शादी के लिए मनाया गया। और अभी पिछले महीने ही प्रमोद का विवाह प्रीति के साथ हुआ है।

जब प्रीति का विवाह प्रमोद के साथ हुआ, उस समय जो भी मेहमान घर पर आए, उन लोगों ने मजाक मजाक में सही, पर बच्चे के सामने यही बात कही,

" अरे गोलू, तेरी तो दूसरी मां आने वाली है। थोड़ा संभल कर रहना"

तो कोई कहता,

" गोलू तेरी तो सौतेली मां आ रही है। बहुत खराब होती है सौतेली माँ"

लोग तो मजाक मजाक में कह कर चले गए, पर उसका असर उस बच्चे पर बहुत ज्यादा हुआ। जब प्रीति शादी होकर घर में आई, तब से गोलू का प्रीति के साथ छप्पन का आंकड़ा चलता है। गोलू प्रीति को परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता। जबकि प्रीति गोलू को मनाने की पूरी कोशिश करती।

प्रीति सौतेली मां जरूर थी पर उसे गोलू  से पूरा लगाव था। बस वह इसी कोशिश में लगी रहती कि गोलू उसे माँ माने। पर गोलू तो उसे मां तक नहीं बोलता। उसके लिए तो वो प्रीति ही है। दादी और प्रमोद कई बार डांटते, पर इसका गोलू पर कोई असर ना होता। थोड़ी देर रो धोकर वापस वैसा ही हो जाता। और फिर उसकी वही शरारतें शुरू हो जाती।

अभी पिछले सप्ताह की ही बात है। घर में मेहमान आए हुए थे, जो थोड़े जल्दबाजी में थे। दादी ने प्रीति को फटाफट चाय बनाने के लिए कहा। घर में रसोई का काम चूल्हे पर ही होता है, तो प्रीति ने चूल्हा जलाकर चाय चढ़ाई और पानी लेकर मेहमानों को देने आई। इतने में गोलू ने पानी का जग लाकर चूल्हे में डाल दिया।

जब तक प्रीति रसोई में गई, तब तक चूल्हा बुझ चुका था। अब चूल्हे में पानी भर गया था तो दोबारा चाय बन नहीं पाई। बाहर दादी ने सबके सामने प्रीति को फटकार लगा दी। प्रीति को डांट पड़ते देखकर गोलू को बड़ा मजा आया। बेचारे मेहमान बिना चाय पिए ही निकल गए।

दो दिन पहले प्रीति ने अपने कपड़े छत पर सुखाए और नीचे आकर थोड़ी देर आराम करने लगी। उस दिन ज्यादा थकी हुई थी तो उसे नींद लग गई। जब नींद खुली तो घर के पीछे से गोलू और उसके दोस्तों की हंसने की आवाज आ रही थी। प्रीति देखने गई तो देखकर हैरान रह गई। छत पर सुखाई उसकी साड़ी को गोलू  अपनी गायों के सींग पर बांधकर खेल रहा था। प्रीति को देखकर सारे बच्चे वहां से फरार हो गए प्रीति ने जैसे-तैसे अपने साड़ी गाय के सींग से निकाली तो देखा कि जगह-जगह से साड़ी फट चुकी थी। पर प्रीति ने इसकी शिकायत ना दादी से की और ना ही प्रमोद से।

और आज, प्रीति ने बड़े मन से सब के लिए खीर पूरी सब्जी बनाई और खाना लगाकर सब को बुलाने के लिए बाहर आई। पर हाय रे किस्मत, गोलू वहाँ पर भी पहुंच गया। और वही पास रखे नमक को लेकर सब्जी में नमक डाल दिया।

जब सब खाना खाने बैठे तो प्रीति ने कटोरियों में सब्जी निकाली और सब को परोस दी। पहला निवाला मुंह में लेते ही दादी ने निवाला थूक दिया।

"हाय रे! ये क्या बनाया है? कुछ सिखाया नहीं क्या तेरे मां बाप ने? पूरा मूँह खारा कर दिया"

" क्या हुआ माँ? इस तरह क्यों बोल रही हो?"

" सब्जी चखकर देख, कितना नमक डाला है। खाना खाने लायक तो बनाती"

यह सब देख कर गोलू को बड़ा मजा आ रहा था, जो उसके चेहरे से साफ नजर आ रहा था। प्रमोद को उसकी तरफ देख पर शक हुआ तो उसने गोलू से पूछा,

" गोलू सच सच बता। तूने क्या हरकत की"

गोलू एकदम से घबरा गया कि अगर सच पता चल गया तो फिर डांट पड़ जाएगी। इसलिए वह हकलाने लगा,

" वो वो बापू वो...."

" सच बोल, हकला क्यों रहा है? तूने कुछ किया ना"

प्रमोद के डर के मारे गोलू ने सच बोल दिया कि उसने खाने में नमक मिलाया था। प्रमोद से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने चांटा खींचकर गोलू के गाल पर दे मारा। गोलू को चांटा मारते ही प्रीति का दिल चित्कार उठा,

" ये क्या कर रहे हैं आप? भला कोई बच्चे को इतनी सी बात के लिए मारता है क्या?"

" तुम इसी का पक्ष ले रही हो। इसकी शरारती देखी, दिन पर दिन बढ़ती जा रही है"

" मैं मां हूं उसकी.."

" तुम मेरी मां नहीं हो। प्रीति मेरी मां नहीं है"

रोता रोता गोलू चिल्लाया। और रोता रोता ही वहाँ से भाग गया। बस तब से प्रीति  के आंसू बहे जा रहे थे। सुबह से दोपहर तक गोलू अपने दोस्तों के साथ ही रहा। घर नहीं आया तो प्रमोद प्रीति को लेकर उसके मायके छोड़ने चला गया। इस वादे के साथ ही जब तुम आओगी तो तुम्हें तुम्हारा बेटा मिलेगा, सौतेला बेटा नहीं।

इधर जब गोलू घर वापस आया तो प्रीति घर पर नहीं थी। उसने हर कमरे में जाकर देखा। यहाँ तक की ऊपर छत पर भी ढूँढ आया। दादी बाहर खाट पर बैठी गोलू को गौर से देख रही थी।

" किसे ढूंढ रहा है रे तू"

" नहीं नहीं, मैं तो........... मैं तो किसी को नहीं ढूंढ रहा"

"अच्छा जिसे ढूंढ रहा है, बता दूँ कि वो तो गई यहाँ से। अब नहीं आएगी"

" हां, तो क्या फर्क पड़ता है? अब तो मैं चैन से रह लूंगा। मेरी सौतेली मां गई"

उसकी बात सुनकर दादी मंद मंद मुस्कुराई। जिसे देखकर एक बार तो गोलू  हड़बड़ा गया। फिर चुपचाप अंदर कमरे में चला गया।

धीरे-धीरे रात भी हो गई। पर आज गोलू को घर में मन नहीं लग रहा था। उसे तो प्रीति को परेशान करने में मजा आता था। पर आज तो प्रीति घर पर नहीं थी। उसका मन भी किसी काम में नहीं लग रहा था। रात को प्रमोद घर आया है तो गोलू आकर प्रमोद के पास ही खड़ा हो गया। उसे लगा कि प्रमोद प्रीति के बारे में कोई बात कहेगा। पर प्रमोद ने तो कुछ भी नहीं कहा। उल्टा उसे मिठाई निकाल कर दे दी,

"अरे बेटा मिठाई खा। तू चाहता था ना कि तेरी सौतेली मां चली जाए। ले, आज वह चली गई"

कहकर प्रमोद ने चुपचाप अपना खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गया। गोलू से मिठाई खाते ना बना। जैसे तैसे एक दो निवाले निगले और चुपचाप उठकर कमरे में चला गया। रात को सोते समय बाहर दादी के पास खाट पर लेटा लेटा रोने लगा।

" अरे क्या हुआ गोलू, तू रो क्यों रहा है? कोई परेशानी है क्या तुझे"

पर गोलू ने कुछ नहीं कहा, बस रोए जा रहा था। आवाज सुनकर प्रमोद बाहर आ गया

" क्या हुआ मां"

" देखना गोलू रोए जा रहा है। बता भी नहीं रहा क्या हुआ"

" क्या बात है गोलू? रो क्यों रहा है? आज तो तेरे लिए खुशी का दिन है। तेरी सौतेली मां चली गई। तू तो यही चाहता था ना"

" मैंने कब कहा कि वो यहां से चली जाए? मेरा तो प्रीति के बगैर मन ही नहीं लग रहा"

उसकी बात सुनकर दादी और प्रमोद के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

" पर वो तो नहीं आएगी। फिर तु उसकी बेइज्जती करेगा। उसे परेशान करेगा"

" नहीं, मैं बिल्कुल परेशान नहीं करूंगा। प्रीति को ले आओ ना बाबू"

"ठीक है, कल ले आऊंगा। अभी सो जा"

जब प्रमोद ने वादा किया तब जाकर गोलू सोया। दादी अभी भी मं ही मं मुस्कुरा रही थी,

" क्या हुआ मां? ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो"

" तुझे कैसे पता चला कि प्रीति को उसके मायके भेज देने से कान्हा उसे ढूंढेगा"

" क्योंकि मां, कभी-कभी नजदीकियाँ बढ़ाने के लिए दूरी होना जरूरी है। तुमने कभी ध्यान नहीं दिया मां। गोलू हमेशा प्रीति के आस-पास ही मंडराता रहता है। बस दोनों को अपनी नजदीकियों का एहसास नहीं था। तो वह एहसास कराना जरूरी था"

 

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